आचार्य शिवपूजन सहाय : सन्दर्भ सूची
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पे.५५
पे.५१
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पे. ५९
आचार्य शिवपूजन सहाय : सन्दर्भ सूची
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आचार्य शिवपूजन सहाय स्मारक न्यास
३६ वीं बैठक : १३ नवम्बर, २०२४ स्थान:गाँधी संग्रहालय, पटना | समय:११-१२ पूर्वान्ह
आ. शिवपूजन सहाय स्मारक निर्माण की दिशा में हुई प्रगति पर विचार हुआ एवं श्री आर.के. सिन्हा के साथ हुई उनवांस की यात्रा जिसमें न्यास-सदस्य श्री किलाश चन्द्र झा भी साथ गए थे वहां का विवरण प्रस्तुत किया गया और निश्चय हुआ कि श्री सिन्हा को एक धन्यवाद-आभार का पत्र भेजा जाय जिसके साथ यह सूचना भी हो कि वहां उनवांस में स्मारक-निर्माण का उनके द्वारा सम्पूर्ण भार ग्रहण करने के लिए उनको न्यास में इस योजना में संरक्षक किया जाना निर्णीत हुआ जिसकी सूचना भी इस धन्यवाद-पते में उन्हें भेजी दी जाय |बैठक में आगामी कार्यक्रमों पर भी विचार हुआ तथा पिछले दो वर्षों में गाँव में स्मारक-स्थल पर चहार दीवारी बनाने आदि के आय-व्यय की अंकेक्षित रिपोर्ट को स्वीकृत किया गया | आय-कर के लिए न्यास का अनुय्बंधन करा लेने का भी निर्णय हुआ | न्यास के भावी कार्य-कलाप पर भी चर्चा हुई | बैठक में उपस्थित ७ सदस्यों के अतिरिक्त श्री अनिल प्रसाद एवं ज्योत्स्ना प्रसाद भी आमंत्रित अतिथि के रूप में उपस्थित थे | बैठक में पिछली बैठक की रिपोर्ट प्रस्तुत एवं स्वीकृत हुई | बैठक की चित्रावली यहाँ देखि जा सकती है|
उपस्थित न्यासी सदस्य
सर्वश्री जियालाल आर्य, विजय प्रकाश, मृदुला प्रकाश, मंगलमूर्त्ति, कैलाश चन्द्र झा, बिमल जैन, आसिफ वासी |
चित्र (C) न्यास
आ.शिवपूजन सहाय जन्मस्थल स्मारक
आ. शिवपूजन सहाय न्यास
की बैठक
आ. शिवपूजन सहाय स्मारक न्यास की
३३ वीं बैठक १० दिसं. २०२३ को गाँधी संग्रहालय, पटना, में हुई जिसमें निम्नांकित
सदस्य उपस्थित हुए (इनमें सं. १,२,३,४,८ और ९ चित्र में देखे जा सकते हैं)|
१. श्री विजय प्रकाश (कार्यकारी अध्यक्ष) बैठक अध्यक्ष २. श्री मंगलमूर्ति (न्यास सचिव) ३. श्री आसिफ वसी (सहायक सचिव, पटना) ४. श्री बिमल जैन ५. श्री जियालाल आर्य (फोन उपस्थिति) ६. श्रीमती उषाकिरण खान (फोन उपस्थिति) ७. श्री रामकृष्ण शरण (फोन उपस्थिति) ८. श्रीमती मृदुला प्रकाश (विशेष आमंत्रित ९. श्री कैलाश चन्द्र झा (विशेष आमंत्रित)
बैठक में पिछली बैठक की कार्यवाही संपुष्ट की गयी और नयी कार्यसूची पर विचार हुआ जो निम्नांकित है : कार्यसूची १.पिछली ३२ वीं बैठक (८ दिसं. २०१९) में पारित प्रस्तावों का अनुमोदन २.उनवांस में स्मारक निर्माण की प्रगति ३.न्यास के खर्च-बर्च का विवरण ४.नए सदस्यों का मनोनयन ५.कॉपी राईट की अवधि समाप्ति पर विचार ६.नयी पुस्तकें प्रकाशित ७.अन्य विषय
चित्र (C) आ. शिवपूजन
सहाय स्मारक न्यास
आचार्य शिवपूजन सहाय का 'वागीश्वरी पुस्तकालय': एक प्रसंग
इसके पिछले पोस्ट में जिस पुस्तकालय के पुराने भवन को आपने देखा उसकी पूरी कहानी भी इस ब्लॉग के पिछले पोस्टों में आप पढ़ सकते हैं. अब उसी पुस्तकालय और पुराने मकान को तोड़ कर उसी स्थान पर एक स्मारक भवन निर्माण करने की योजना है. आ. शिव के पाठक और प्रशंसक उसमें कोष-दान देकर अपनी साहित्य-सहृदयता अवश्य प्रकट करेंगे ऐसी आशा है. इस तरह की एक अपील पिछले पोस्ट में दी भी गयी है. उसकी पूरी योजना भी यहाँ देखी जा सकती है |
आज इस पोस्ट में उसी पुस्तकालय से जुड़ा एक प्रसंग जो ८० के दशक में घटित हुआ था. और जिसके प्रमुख नायक थे श्री कैलाश चन्द्र झा, उनका एक भाषण आज पटना में बिहार कॉन्क्लेव, मौर्या होटल में हुआ जिसका एक विडियो और कुछ चित्र यहाँ दिए जा रहे हैं. श्री झा ने वह कहानी बताई कि कैसे वे अमेरिका दूतावास में काम कर रहे थे और उस समय अमेरिका की लाइब्रेरी ऑफ़ कांग्रेस की दक्षिण एशिया की एक दुर्लभ साहित्यिक संग्रहों की सुरक्षा का एक अभियान चला था जिसके अंतर्गत उन्होंने 'वागीश्वरी पुस्तकालय' की पत्र-पत्रिकाओं का उद्धार कराया था जो वहां बंद पुस्तकालय में नष्ट हो रही थीं |उसमें केवल मासिक और साहित्यिक पत्रिकाओं को ही दिल्ली ले जाया गया था - २० बड़े बोरों में सिलकर गाँव से बक्सर बैलगाड़ी पर और वहां से ट्रेन से बुक करके दिल्ली तक.यह सारा काम श्री झा के सहयोग और देख-रेख में ही हुआ था. दिल्ली दूतावास में सभी पत्रिकाओं की मिक्रोफिशिंग हुई थी (जिसका कुछ ब्यौरा इसी ब्लॉग पर पहले दिया जा चुका है.) फिर उन मिक्रोफिशेज़ की एक प्रति लाइब्रेरी ऑफ़ कांग्रेस वाशिंगटन (अमेरिका) में रखी और दूसरी डोनर कॉपी यहाँ नेहरु मेमोरियल लाइब्रेरी में रखी गयी. इन सभी पत्रिकाओं के सभी अंकों के प्रति पृष्ठ को वहां जाकर पढ़ा जा सकता है, जिसे अमेरिका के शोधकर्त्ताओं के लिए वहां उपलब्ध है. बाद में अमेरिकी दूतावास ने इन पत्रिकाओं की मूल फाइलों की भी सुन्दर जिल्दबंदी करे हमें लौटा दिया जिसे भी न्यास ने फिर ने.मे.ला. में ही रखवा दिया जहाँ अनेक शोधकर्त्ता अब उनका लाभ उठा रहे हैं. ने.मे.ला. में इसके साथ आ. शिवजी की दुर्लभ पुस्तकें भी संगृहीत है, लेकिन जिनका बडा हिस्सा अब पटना के गाँधी संग्रहालय में शोधार्थियों के लिए उपलब्ध है. हिंदी के किसी साहित्यकार के संग्रह का इतना बड़ा संरक्षण शायद ही और किसी संस्था के द्वारा किया गया है. हिंदी-संसार में खेद है इसकी चेतना आज भी बहुत विकसित नहीं हो सकी है. इस प्रसंग में श्री झा के प्रति न्यास पर्याप्त आभार व्यक्त करने में समर्थ ही नहीं है. यदि इस भाषण का पूरा विडियो मिल सका तो हम उसे अपने युटयूब चैनल vagishwarimurty,com पर भी दर्शकों के लिए डालेंगे. इसी प्रसंग में हम न्यास की अगली बैठक जो होगि१०.१२.२३ को गाँधी संग्परहालय पटना में श्री झा को विशेष रूप से सम्मानित करेंगे और उनके न्यास के विशिष्ट सदस्य के रूप में मनोनीत भी करेंगे. आप से अनुरोध है की न्यास के इस ब्लॉग को इसकी गतिविधियों के लिए समय-समय पर अवश्य देखते रहें
आ. शिवपूजन सहाय स्मारक
निर्माण योजना
आ. शिवपूजन सहाय न्यास ने
आ. शिवजी की स्मृति में उनके गाँव उनवांस (बक्सर से १५ कि.मी. दक्षिण) में एक
स्मारक निर्माण का संकल्प कई वर्ष पहले लिया था | इसकी योजना के अनुसार उनवांस में
शिवजी के पैत्रिक मकान के स्थान पर एक भव्य स्मारक का निर्माण होना है | कई कारणों
से इस कार्य में अब तक विलम्ब होता आया है – यद्यपि इस दिशा में २०१८ में ही कार्य
प्रारम्भ किया जा चुका था |
यहाँ दिए गए चित्रों को देख
कर इस योजना को समझा जा सकता है | चित्र में देखा जाने वाला शिवजी का यह पुश्तैनी
मकान अब नहीं है | इस पुराने मकान का बड़ा चित्र यहाँ दिया गया है | यह मकान शिवजी
के जन्म के बाद बना था, हालांकि इसी ज़मीन पर बने कच्चे मकानों में पहले उनके पूर्वज – दादा-परदादा -
रहते आये थे | इसके भीतरी हिस्से में एक चौकोर आँगन था जिसके बीच में एक बेल का
वृक्ष था, और चारों और के बरामदों से लगे हुए बारह कमरे थे | लगभग १९४५ के आपसी
बटवारे में मकान का पच्छिमी भाग शिवजी के हिस्से में मिला था |
यह मकान शिवजी के जन्म के बाद बना था | इस स्थान पर बने इस अंतिम मकान का यह चित्र मेरा खींचा हुआ है जो १९७० के लगभग तक इसी दशा में था | इसका रुख उत्तर दिशा की ओर था | सामने एक शामिल ओसारानुमा दालान थी | इसका प्रवेश द्वार पूरब की ओर था | दालान के सामने एक पूरब-पच्छिम लम्बा चबूतरा था | चबूतरे के पच्छिम ओर, शिवजी के समय मेरी ही देख-रेख में १९५४ में बना, ‘वागीश्वरी पुस्तकालय’ का भवन था | इस पुस्तकालय भवन का रंगीन चित्र भी यहाँ देखा जा सकता है | पूरे मकान का पच्छिमी हिस्सा शिवजी के परिवार के लिए था जिसमें आगे के चबूतरे के पच्छिमी छोर पर यह पुस्तकालय भवन बना था, और पूर्वी भाग उनके छोटे दिवंगत भाई रामपूजन लाल के परिवार के हिस्से में था | इस पुराने हिस्से के मकान को तोड़ कर रामपूजन लाल के वंशजों ने इधर अपना नया मकान बना लिया है ( जो नयी बनी चहारदीवारी के चित्र में पूरब की ओर स्थित है )| स्मारक की योजना के अनुसार शिवजी के पच्छिम की ओर के भीतरी मकान और पुस्तकालय भवन (जिसकी पुस्तकें और पत्र-पत्रिकाएं गाँधी संग्रहालय, पटना और नेहरु म्युज़ियम, नयी दिल्ली, में संरक्षण के लिए पहले ही भेजी जा चुकी थीं ) - उस सब को ढहा कर उसी स्थल पर अब शिवजी का नया स्मारक बनाने की योजना बनायी गयी है | चित्रों में शिवजी के हिस्से के भीतरी मकान और पुस्तकालय को योजना के अनुसार २०१८ में ढहाया गया था, जिसके बाद कोरोना-काल में निर्माण का काम अचानक रुक गया था | ध्वन्सीकरण के उस समय के चित्रों को भी यहाँ दिया गया है जिन्हें देख कर इसकी भोगौलिक स्थिति समझी जा सकती है | अब इधर (मार्च से जून, २०२३ में) उसी ज़मीन को चारों ओर चहारदीवारी से घेर दिया गया है | योजना के अनुसार अब यह चहारदीवारी से घिरी ज़मीन भी न्यास के नाम से हस्तांतरित की जा रही है, जिसके निर्माण और आगे रख-रखाव का दायित्त्व पूर्णतः न्यास के अधीन रहेगा |
यहाँ दिए गए नक्शों में प्रस्तावित स्मारक की योजना दी गयी है | चहारदीवारी से घिरी आयताकार ज़मीन उत्तर-दक्खिन फैली है जिसका रकबा लगभग ढाई कट्ठा है | नक़्शे में उत्तर पूर्वी कोने पर स्मारक का मुख्य प्रवेश द्वार है जो पूरब-स्थित एक बरामदे पर खुलता है | उत्तर-दक्खिन फैला यह बरामदा पूरब की दीवाल से सटा है जिसके सामने पच्छिम में खुला आँगन है | दक्खिन की ओर पूरब में एक सीढी है, और पच्छिम ओर एक बड़ा हॉल है जिसमें पच्छिम दीवाल से लगी आ. शिव की एक प्रतिमा स्थित होगी और हॉल में प्रदर्शन की विभिन्न वस्तुएं रहेंगी | उत्तर की ओर दो कमरे और एक शौचालय होंगे, जिसमें एक कमरा अतिथि-गृह और दूसरा कार्यालय-कक्ष होगा | उत्तर और दक्खिन में भी हॉल और दोनों कमरों के सामने पूरब वाले बरामदे से लगायत बरामदे रहेंगे | यह एक व्यावहारिक, सीधा-सादा, कम खर्च में बनने वाला स्मारक होगा जो गाँव के परिवेश के अनुकूल होगा | अभीतक पुराने मकान को ढहाने और चहारदिवारी बनवाने में लगभग ४.५० लाख रुपये लगे हैं, जिसमें ३.५० लाख न्यास ने दिया है और १ लाख का अनुदान मैंने अपने पेंशन में से दिया है | लेकिन इसके साथ ही न्यास के कोष में अब बहुत कम राशि बच रही है |
यहाँ नमूने के तौर पर बाएं एक चित्र है जो अमेरिकी लेखक एडगर एलेन पो के रिचमंड में बने मेमोरियल का है | दक्खिन में बनने वाला हॉल कुछ इसी तरह का होगा | बीच के आँगन में भी इसी तरह की हरियाली - पेड़-पौधे रहेंगे |
१.श्री
विजयप्रकाश, कार्यकारी अध्यक्ष, आ. शिवपूजन सहाय स्मारक न्यास, पटना
मो. 9771498909 / 7004266500
२. डा. मंगलमूर्ति, सचिव, मो. 7752922938 bsmmurty@gmail.com
३. श्री आर. के. शरण, सहायक सचिव : मो. 9415336674 / 8318090896
न्यास बैंक खाता विवरण जिसमें (उपर्युक्त व्यक्तियों से संपर्क के बाद) धनराशि सीधे जमा की
जा सकती है :
Acharya Shivpoojan Sahay Memorial
Trust
SB a/c no. 18630100002863, IFSC : BARB0SAVOGAM (0 is Zero)
Bank of Baroda,Vipul Khand, Gomti
Nagar, Lucknow :226010
कृपया
इस प्रतिवेदन को अधिक-से अधिक व्यक्तियों तक पहुंचाने का प्रयास करें | आ. शिवजी
से सम्बद्ध साहित्य को कम मूल्य पर प्राप्त करने के लिए भी सचिव डा. मंगलमूर्ति से
संपर्क किया जा सकता है | पुस्तकों की की एक सूची यहाँ नीचे दी गयी है जिसमें सारी सूचनाएं दी गयी हैं | पुस्तकों के विक्रय से प्राप्त राशि भी सीधे
न्यास के खाते में जमा होगी और इसी निर्माण कार्य में लगाई जाएगी | इस विषय में आप
सभी का पूर्ण सहयोग अपेक्षित है |
वागीश्वरी प्रकाशन
नाइन थर्सडेज प्रा. लि., लखनऊ की प्रकाशन योजना
एच-701, सेलेब्रिटी
गार्डन्स, सुशांत गोल्फ सिटी, अंसल एपीसी, लखनऊ : 226030
rksharan411@gmail.com / bsmmurty@gmail.com Mob. 91+9415336674/7752922938
पुस्तक-सूची
१. १. शिवपूजन सहाय साहित्य-समग्र (१० खंड )
सजिल्द - ११,०००/-
२. २. शिवपूजन सहाय साहित्य-समग्र (१० खंड )
पेपर बैक – ४,०००/-
३. ३. शिवपूजन सहाय : रचना संचयन ४५०/-
४. ४. शिवपूजन सहाय (अंग्रेजी मोनोग्राफ ) ५०/-
५. ५. देहाती दुनिया (शिवपूजन सहाय) ३५०/-
६. ६. ग्राम-सुधार (शिवपूजन सहाय) २००/-
७. ७. व्याकरण दर्पण (शिवपूजन सहाय) ३००/-
८. ८. निबंध-समग्र (शिवपूजन सहाय) ७००/-
९. ९. मेरा बचपन (शिवपूजन सहाय) २९९ /-
१०.हिंदी की गद्य परंपरा (शिवपूजन सहाय) २९९/-
११. प्रवासी की आत्मकथा (भवानी दयाल सन्यासी) ९९५/-
१२. प्रेमचंद
पत्रों में ५९५/-
१३.जानवर फ़ार्म (जॉर्ज ऑरवेल, अनु. मंगलमूर्ति ) २२५/-
१४. चाबी (जापानी उपन्यास, अनु. मंगलमूर्ति ) ३९५/-
१५. सुनो पार्थ (गीता सरल हिंदी अनु. मंगलमूर्ति ) २९५/-
१६. श्रीरामचरितमानस (कथा-सार ले. मंगलमूर्ति ) २९५/-
१७. मन एक वन (हिंदी कवितायें, ले. मंगलमूर्ति ) ३९५/-
१८. टू वे मिरर (अंग्रेजी कवितायें, ले. मंगलमूर्ति) ३९५/-
१९. दि हॉन्टेड पैलेस ( एडगर पो का अध्ययन, ले. मंगलमूर्ति) ८००/-
२०. दि क्रिटिकल पर्सपेक्टिव (ले. मंगलमूर्ति) ९९५/-
२१. दर्पण में वे दिन (संस्मरण, ले. मंगलमूर्ति) ९९५/-
२२. स्टोरी ऑफ़ राम (वाल्मीकि रामायण रीटोल्ड ले.
मंगलमूर्ति) ३९५/-
२३. विजार्ड इन द स्ट्रीट (पो की कहानियाँ. सं.मंगलमूर्ति)
७९५/-
२४. हिंदी-भूषण शिवपूजन सहाय (सं.मंगलमूर्ति) ४००/-
२५. मेरा जीवन (सं. मंगलमूर्ति) सजिल्द ५९५/- अजिल्द २५०/-
२६. स्मृति-शेष सजिल्द ५९५/- अजिल्द २५०/-
इनमें से कुछ पुस्तकों के आवरण-चित्र
न्यास के स्मारक-निर्माण में धन-राशि प्रदान करने के इच्छुक सभी व्यक्तियों को
इन सभी पुस्तकों पर सीधे ५०% की छूट दी जाएगी जिसमें मुफ्त डाक खर्च शामिल होगा | इसके
लिए कृपया पहले चयनित पुस्तकों की ५०% मूल्य-राशि न्यास के (ऊपर दिए) खाते में
सीधे जमा करके अपना पूरा डाक-पता देते हुए उसकी रसीद वाटसैप पर (Mob. 7752922938) भेज दें जिसके बाद तुरत चयनित
पुस्तकें उस पते पर भेज दी जाएँगी | यह स्मारक-निर्माण के लिए धन-संग्रह का ही एक
सहायक उपक्रम होगा | आशा है न्यास के इस उपक्रम में आपका पूरा सहयोग प्राप्त होगा |
आचार्य शिवपूजन सहाय : सन्दर्भ सूची आचार्य शिवपूजन सहाय (१८९३ -१९६३) की विगत ६२ वीं पुण्यतिथि २१ जनवरी, २०२५ को मनाई गयी | उस प्रसंग में ...