Friday, December 22, 2023

 

आ. शिवपूजन सहाय न्यास की बैठक

 

आ. शिवपूजन सहाय स्मारक न्यास की ३३ वीं बैठक १० दिसं. २०२३ को गाँधी संग्रहालय, पटना, में हुई जिसमें निम्नांकित सदस्य उपस्थित हुए (इनमें सं. १,,,,८ और ९ चित्र में देखे जा सकते हैं)|  

१. श्री विजय प्रकाश (कार्यकारी अध्यक्ष) बैठक अध्यक्ष २. श्री मंगलमूर्ति (न्यास सचिव) ३. श्री आसिफ वसी (सहायक सचिव, पटना) ४. श्री बिमल जैन ५. श्री जियालाल आर्य (फोन उपस्थिति) ६. श्रीमती उषाकिरण खान (फोन उपस्थिति) ७. श्री रामकृष्ण शरण (फोन उपस्थिति) ८. श्रीमती मृदुला प्रकाश (विशेष आमंत्रित ९. श्री कैलाश चन्द्र झा  (विशेष आमंत्रित)

बैठक में पिछली बैठक की कार्यवाही संपुष्ट की गयी और नयी कार्यसूची पर विचार हुआ जो निम्नांकित है :  कार्यसूची १.पिछली ३२ वीं बैठक (८ दिसं. २०१९) में पारित प्रस्तावों का अनुमोदन २.उनवांस में स्मारक निर्माण की प्रगति ३.न्यास के खर्च-बर्च का विवरण ४.नए सदस्यों का मनोनयन ५.कॉपी राईट की अवधि समाप्ति पर विचार ६.नयी पुस्तकें प्रकाशित ७.अन्य विषय

 बैठक में विचारित एवं पारित प्रस्ताव सदस्यों के अवलोकनार्थ एवं अनुमोदनार्थ इमेल द्वारा उनको प्रेषित किये जा रहे हैं | कार्यसूची ६ के अंतर्गत नयी प्रकाशित पुस्तकों का विवरण सचिव द्वारा बैठक में प्रस्तुत किया गया जो निम्नांकित है : १. Shivapoojan Sahay (English Monograph by Dr Mangal Murty), Pub. Sahitya Akademi, Delhi. Rs 50; 2018, २. शिवपूजन सहाय रचना संचयन, प्र. साहित्य अकादेमी,दिल्ली,२०१९; मू. ४७५,  ३. मेरा बचपन, प्र. श्वेतवर्णा प्रकाशन, दिल्ली, २०२०; मू. २९९ अजिल्द, ४. हिंदी की गद्य परंपरा, प्र. श्वेतवर्णा प्रकाशन, दिल्ली, २०२०; मू. २९९ अजिल्द ५. निबंध समग्र, प्र.अनामिका प्रकाशन, दिल्ली, २०२१; मू. ७०० सजिल्द.  ६. शिवपूजन सहाय का कथा साहित्य, प्र.वैल्यू पब्लिकेशन्स, दिल्ली, २०२२; मू.९९५ सजिल्द, ७. मेरा जीवन, प्र.अनामिका प्रकाशन, दिल्ली, २०२१; मू. ५९५, सजिल्द, २५० अजिल्द, ८. स्मृतिशेष, प्र.अनामिका प्रकाशन, दिल्ली, २०२१; मू. ५९५, सजिल्द, २५० अजिल्द |

 



साथ ही सदस्यों से अनुरोध किया गया : कि न्यास की साक्षात बैठकें अपरिहार्य कारणों से पटना में अब कम हो पा रही हैं, और भविष्य में आवश्यकतानुसार नेट पर भी आयोजित की जा सकती हैं, अतः अपने विचार इन प्रसंगों में फोन/इमेल (bsmmurty@gmail.com) अथवा व्हाट्सएप्प/मेसेज (7752922938) पर भेजने की कृपा करें |

 

चित्र (C) आ. शिवपूजन सहाय स्मारक न्यास     

 

Saturday, December 2, 2023




 आचार्य शिवपूजन सहाय का 'वागीश्वरी पुस्तकालय': एक प्रसंग 

इसके पिछले पोस्ट में जिस पुस्तकालय के पुराने भवन को आपने देखा उसकी पूरी कहानी भी इस ब्लॉग के पिछले पोस्टों में आप पढ़ सकते हैं. अब उसी पुस्तकालय और पुराने मकान को तोड़ कर उसी स्थान पर एक स्मारक भवन निर्माण करने की योजना है. आ. शिव के पाठक और प्रशंसक उसमें कोष-दान देकर अपनी साहित्य-सहृदयता अवश्य प्रकट करेंगे ऐसी आशा है. इस तरह की एक अपील पिछले पोस्ट में दी भी गयी है. उसकी पूरी योजना भी यहाँ देखी जा सकती है |

आज इस पोस्ट में उसी पुस्तकालय से जुड़ा एक प्रसंग जो ८० के दशक में घटित हुआ था. और जिसके प्रमुख नायक थे श्री कैलाश  चन्द्र झा, उनका एक भाषण आज पटना में बिहार कॉन्क्लेव, मौर्या होटल में हुआ जिसका एक विडियो और कुछ चित्र यहाँ दिए जा रहे हैं. श्री झा ने वह कहानी बताई कि कैसे वे अमेरिका दूतावास में काम कर रहे थे और उस समय अमेरिका की लाइब्रेरी ऑफ़ कांग्रेस की दक्षिण एशिया की एक दुर्लभ साहित्यिक संग्रहों की सुरक्षा का एक अभियान चला था जिसके अंतर्गत उन्होंने 'वागीश्वरी पुस्तकालय' की पत्र-पत्रिकाओं का उद्धार कराया था जो वहां बंद पुस्तकालय में नष्ट हो रही थीं |उसमें केवल मासिक और साहित्यिक पत्रिकाओं को ही दिल्ली ले जाया गया था - २० बड़े बोरों में सिलकर गाँव से बक्सर बैलगाड़ी पर और वहां से ट्रेन से बुक करके दिल्ली तक.यह सारा काम श्री झा के सहयोग और देख-रेख में ही हुआ था. दिल्ली दूतावास में सभी पत्रिकाओं की मिक्रोफिशिंग हुई थी (जिसका कुछ ब्यौरा इसी ब्लॉग पर पहले दिया जा चुका है.) फिर उन मिक्रोफिशेज़ की एक प्रति लाइब्रेरी ऑफ़ कांग्रेस वाशिंगटन (अमेरिका) में रखी और दूसरी डोनर कॉपी यहाँ नेहरु मेमोरियल लाइब्रेरी में रखी गयी. इन सभी पत्रिकाओं के सभी अंकों के प्रति पृष्ठ को वहां जाकर पढ़ा जा सकता है, जिसे अमेरिका के शोधकर्त्ताओं के लिए वहां उपलब्ध है. बाद में अमेरिकी दूतावास ने इन पत्रिकाओं की मूल फाइलों की भी सुन्दर जिल्दबंदी करे हमें लौटा दिया जिसे भी न्यास ने फिर ने.मे.ला. में ही रखवा दिया जहाँ अनेक शोधकर्त्ता अब उनका लाभ उठा रहे हैं.  ने.मे.ला. में इसके साथ आ. शिवजी की दुर्लभ पुस्तकें भी संगृहीत है, लेकिन जिनका बडा हिस्सा अब पटना के गाँधी संग्रहालय में शोधार्थियों के लिए उपलब्ध है. हिंदी के किसी साहित्यकार के संग्रह का इतना बड़ा संरक्षण शायद ही और किसी संस्था के द्वारा किया गया है. हिंदी-संसार में खेद है इसकी चेतना आज भी बहुत विकसित नहीं हो सकी है. इस प्रसंग में श्री झा के प्रति न्यास पर्याप्त आभार व्यक्त करने में समर्थ ही नहीं है. यदि इस भाषण का पूरा विडियो मिल सका तो हम उसे अपने युटयूब चैनल  vagishwarimurty,com पर भी दर्शकों के लिए डालेंगे. इसी प्रसंग में हम न्यास की अगली बैठक जो होगि१०.१२.२३ को गाँधी संग्परहालय पटना में श्री झा को विशेष रूप से सम्मानित करेंगे और उनके न्यास के विशिष्ट सदस्य के रूप में मनोनीत भी करेंगे. आप से अनुरोध है की न्यास के इस ब्लॉग को इसकी गतिविधियों के लिए समय-समय पर अवश्य देखते रहें 



 श्री झा बीच में बैठे हैं.  इस प्रसंग  के कुछ और पुराने चित्र भी आप शीघ्र यहाँ  देख सकेंगे.

कुछ और चित्र 

पुराने वागीश्वरी पुस्तकालय में श्री कैलाश चन्द्र झा स्वयं बैठ कर कई दिन पत्रिकाओं को छांटते रहे थे जिन्हें फिर बोरों में कसा गया था .

नीचे का चित्र उस समय पुस्तकों की दुरवस्था का था जो काठ की आलमारियों में ठूंस कर रखी हुई रहती थीं | ऐसी लगभग १० अलमारियां किताबों से खचाखच भरी थीं जिन्हें वर्षों बाद फिर पटना गांधी संग्रहालय में ला कर रखा गया | 

कुछ और चित्र पटना, गुलजारबाग के चैतन्य पुस्तकालय के हैं जहाँ मैं श्री झा को ले गया था |  दो चित्रों में श्री झा  स्व. छाबीलेलाल गोस्वामी  (किशोरीलाल गोस्वामी के सुपुत्र) के सम्बन्धी से मिलाने ले गया | उस पुस्तकालय में दुर्लभ पोथियों का भंडार लाल बेठनों में बाँध कर रखा था | श्री झा के प्रयास से उन दुर्लभ ग्रंथों और पत्र-पत्रिकाओं का भी श्री झा ने अमेरिका की लाइब्रेरी ऑफ़ कांग्रेस के लिए माइक्रोफिशिंग कराया था | ग्रुप चित्र में मेरे साथ उसी मठ के चश्मा पहने मेरे सहपाठी गोस्वामी भी हैं |

सभी चित्र (C) डा. मंगलमूर्ति 
 


 
  

  आचार्य शिवपूजन सहाय : सन्दर्भ सूची   आचार्य शिवपूजन सहाय (१८९३ -१९६३) की विगत ६२ वीं पुण्यतिथि २१ जनवरी, २०२५ को मनाई गयी | उस प्रसंग में ...