आ. शिवपूजन सहाय : १२९ जयंती
आज आ. शिवपूजन सहाय कि १२९ वीं जयंती कई स्थानों पर मनाई गयी | वे सम्पूर्ण हिंदी जगत में सदा एक महान संत साहित्यकार के रूप में सम्मानित रहे हैं | उन पर -vibhutimurty.blogspot.com पर बहुत सी पठनीय सामग्री देखी जा सकती है | वहीं अभी उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ में आयोजित एक समारोह (3 अगस्त, 22) में ( अस्वस्थता के कारण मेरी अनुपस्थिति में पठित) मेरा प्रेमचंद और शिवपूजन सहाय की कथा-भाषा पर एक आलेख पढ़ा जा सकता है |अखबारों में भी कई लेख प्रकाशित हुए हैं | पत्रिकाओं में भी लेख बहिधा प्रकाशित होते रहते है जिससे हिंदी के इन सम्मान्य लेखकों कि प्रासंगिकता रेखांकित होती रहती है |
यहाँ आप पढ़ें आज फेसबुक पर अंकित एक रिपोर्ट जो रेल मंत्रालय(दिल्ली) में आयोजित एक समारोह की है, जिसे रेल राजभाषा विभाग के अधिकारी ( मेरे पूर्ववर्त्ती छात्र) श्री बरुन कुमार ने पोस्ट किया है जिसमें कई चित्र भी हैं | उनके इस प्रयास के लिए आ. शिवपूजन सहाय न्यास उनके विभाग और रेल मंत्रालय के प्रति विशेष आभारी है | उनकी रिपोर्ट:
आज ९ अगस्त है, आचार्य शिवपूजन सहाय का जन्मदिन। वे एक बड़े सम्पादक, लेखक, पत्रकार थे। लेकिन उनकी जयंती बहुत कम देखने को मिलती है जिसका कारण है इसके कुछ ही दिन पूर्व ३१ जुलाई को प्रेमचंद की जयंती पड़ना। दोनों लेखकों का लेखन-क्षेत्र भी एक ही है - गद्य और उसमें कथा-साहित्य एवं सम्पादन, और पत्रकारिता भी। इसलिए प्रेमचंद के विराट आभामंडल के सामने शिवपूजन जी अचर्चित या अल्पचर्चित रह जाते हैं। साहित्य अकादमी ने एक बार दोनों साहित्यकारों की संयुक्त जयंती मनाई। एक सजग समाज अपने विराटों को याद तो करता ही है, अपने अन्य महत्वपूर्णों को भी विस्मृत नहीं होने देता।
इस बार हमने
०५ अगस्त २०२२ (शुक्रवार) को रेल मंत्रालय में प्रेमचंद और शिवपूजन जी की संयुक्त
जयंती मनाई। जयंती का उद्घाटन अध्यक्ष, रेलवे बोर्ड श्री वी.के.त्रिपाठी जी ने दीप
प्रज्वलन एवं दोनों साहित्यकारों के चित्रों पर माल्यार्पण व श्रद्धा सुमन अर्पित
करके किया। इस अवसर पर बोर्ड के सदस्य, अपर सदस्य,महानिदेशक, कार्यपालक निदेशक एवं अन्य उच्चाधिकारीगण
समेत बड़ी संख्या में कर्मचारीगण उपस्थित थे। अध्यक्ष महोदय ने बड़ी रुचिपूर्वक
दोनों साहित्यकारों पर आयोजित प्रदर्शनी का रुचिपूर्वक अवलोकन किया और पुस्तिका
में प्रशंसात्मक टिप्पणी दर्ज की। प्रधान कार्यपालक निदेशक श्री दीपक पीटर
गैब्रियल ने इस तरह के आयोजन के महत्व को रेखांकित किया।
भारतीय रेल
में हिंदी भाषा एवं साहित्यकारों के लिए संस्थागत सम्मान है एवं पूरे क्षेत्रीय
रेलों के मुख्यालयों, डिवीजनों, कारखानों, प्रशिक्षण केंद्रों, उपक्रमों, अन्य इकाइयों से लेकर स्टेशनों तक में इनसे संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाते
हैं।
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