आचार्य शिवपूजन सहाय स्मारक न्यास
शोक प्रस्ताव : ९ अप्रैल, २०२२
“आचार्य शिवपूजन सहाय स्मारक न्यास की निबंधित प्रथम न्यासी समिति के सम्मानित
सदस्य श्री रामचंद्र खान, आई.पी.एस, का आज ब्राह्म वेला में (रात्रि ३ बजे), पटना
में निधन हो गया | वे कुछ समय से ह्रदय रोग से ग्रस्त थे | न्यास के गठन (१९९३) की
प्रारम्भिक समिति के वे माननीय मनोनीत सदस्य रहे और उसकी सभी गतिविधियों में सक्रिय
रूप से जुड़े रहे थे | पिछले दो वर्षों से न्यास की बैठकें पटना में नहीं हो पा रही
हैं, किन्तु उससे पूर्व ४ जुलाई, २०१८ को हुई न्यास की ३० वीं बैठक में वे अपनी
धर्मपत्नी श्रीमती उषा किरण खान के साथ उपस्थित थे |
“श्री रामचंद्र खान ने आरक्षी सेवा के उच्चतम पदों पर रहते हुए बिहार की लम्बी अवधि तक
निष्ठावान सेवा की | वे मिथिला की विख्यात साहित्यिक परंपरा से जुड़े, हिंदी साहित्य
में भी गहरे गहरी पैठ रखने वाले व्यक्ति थे, और अपनी उच्च कोटि की वक्तृता के लिए
विख्यात रहे | उनके निधन से पटना और बिहार के सांस्कृतिक परिदृश्य में एक स्थायी
अभाव बना रहेगा | आचार्य शिवपूजन सहाय स्मारक न्यास समिति इस शोक-प्रस्ताव के द्वारा
उनकी पावन स्मृति को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती है, और उनके शोक-संतप्त परिवार
के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना प्रकट करती है |”
ऊपर चित्र: साभार फेसबुक
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मंगलमूर्ति
श्री रामचंद्र खान मिथिला के एक विशिष्ट पंडित-परिवार के मेधावी वंशज थे जिनके परिवार को शास्त्रीय पांडित्य के लिए कभी ‘खान’ पदवी प्राप्त हुई थी | मेरा उनसे व्यक्तिगत परिचय ७० के दशक में मुंगेर में हुआ जब वे वहां जमालपुर में प्रोबेशनर आरक्षी अधीक्षक पद पर आये थे | अपने सुदर्शन व्यक्तित्त्व और मृदुल व्यवहार के कारण वे शीघ्र ही वहां नगर के सर्वप्रिय व्यक्ति हो गए | मुंगेर समाज सेवा समिति में वे हमारे सहकर्मी एवं परामर्शी भी रहे | श्री खान के साथ मेरा यह स्नेह-सूत्र तबसे बंधा रहा, और बाद में जब १९९३ में आ. शिवपूजन सहाय के जन्म-शती वर्ष में हमने एक न्यास का गठन किया तब वे उसकी प्रारम्भिक न्यासी समिति के सम्मान्य मनोनीत सदस्य रहे | श्री खान में वंशानुगत विद्वत्ता के साथ सामाजिक सहृदयता का मणि-कांचन संयोग था | उन्होंने लम्बा सार्थक जीवन व्यतीत करके गोलोक गमन किया | उनकी स्मृति स्वर्ग में सदा शोभित रहे, हमारी उनको यही श्रद्धांजलि है |
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