Friday, January 22, 2021

 




रिपोर्ट

स्मरण : आ. शिवपूजन सहाय

 

विगत २१ जनवरी, २०२१ को 'शिवपूजन सहाय की देहाती दुनिया' वेबिनार में उनके प्रसिद्ध उपन्यास 'देहाती दुनिया' के व्यापक परिप्र्येक्ष में उस वृहत्तर भारतीय ग्राम्यांचल की उपेक्षा और समस्याओं की किंचित विस्तार से चर्चा हुई | आ. शिवपूजन सहाय स्मारक न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष एवं बिहार विद्यापीठ, पटना के अध्यक्ष श्रीविजय प्रकाश ने वेबिनार की प्रस्तावना में इस व्यापक विषय पर प्रकाश डाला | ख्यात पत्रकार-लेखिका गीताश्री ने गांधी और आ. शिव को इस प्रसंग में सहयात्री के रूप में याद किया | इस प्रसंग में शिवजी की ४० के दशक में लिखी पुस्तक 'ग्राम-सुधार' की भी विषद चर्चा हुई | का. हिन्दू विवि के डा. प्रभात मिश्र ने ' देहाती दुनिया' को अपने समय (२० के दशक) में लिखा गया अन्यतम उपन्यास बताते हुए उसके भाषा-शिल्प पर सुन्दर विवेचन प्रस्तुत किया | अंत में न्यास-सचिव डा. मंगलमूर्ति ने आ. शिव के ग्राम्य-चिंतन पर उनकी डायरी से एक सुन्दर उद्धरण पढ़ कर सुनाया जिसे आप यहाँ उसकी पूर्णता में  पढ़ सकते हैं | इस ब्लॉग पर आप न्यास की गतिविधियों से भी परिचित हो सकते हैं |

 प्रेमचंदजी को स्मरण करते हुए आ. शिव ने अपने संस्मरण में लिखा था - "

व्यक्तित्त्व का सच्चा मूल्यांकन है कीर्ति का विस्तार|"

यह उक्ति आ. शिव के साहित्यिक व्यक्तित्त्व पर उसी प्रकार लागू होती है | वे ऐसे हिंदी-सेवी थे जिनकी साहित्य-सेवा को लोग सदा इसी तरह याद करते रहेंगे क्योंकि हिंदी में वैसे संत-साहित्यकार बिरले ही हुए |

आ. शिवजी की पुस्तक ‘ग्राम-सुधार’ में महात्मा गांधी के प्रकल्पित ग्रामोत्थान की विषद व्याख्या है | उनकी डायरियों में भी बहुधा ग्रामोत्थान की उनकी अपनी कल्पना भी आख्यायित हुई है | इस श्रृंखला में आ. शिव के ग्राम्य-चिंतन की कुछ और सामग्री आप हमारे दूसरे ब्लॉग – vagishwari.blogspot.com पर आगे भी पढ़ सकते हैं | उसी प्रस्तावित श्रृंखला की पहली कड़ी जो उपर्युक्त वेबिनार में पढ़ी गई थी  यहाँ उद्धृत है –

 “आज रात में मन में भावना उठी कि प्रोफेसरी छोड़ साहित्य विद्यालय खोल कर गाँव में रहना चाहिए | साहित्य सेवियों को चाहिए कि एक पवित्र स्थान में आश्रम बना कर रहें | नदी का तट हो और आम्र-कानन भी | एकांत, शांत, उन्मुक्त स्थान हो | छोटी खेती, छोटी फुलवारी, चुने हुए सुन्दर ग्रंथों से भरपूर  पुस्तकालय और दुधैल गाय, फलों का बाग़ और साग-सब्जी का चमन | रहन-सहन, खान-पान सादा | दिन-रात पढना-लिखना | साहित्य पढ़ाना भी, और दोनों जून ईश्वर-प्रार्थना का क्रम |

श्रीरामजी की दया होगी तो अपने गाँव में एक साहित्य-विद्यालय खोलूँगा | उसमें उद्योग-धंधे की शिक्षा भी दी जाएगी | चरखा-करघा भी रखूंगा | संस्कृत भाषा भी पढ़ाई जाएगी | तुलसी की रामायण भी पढ़ाई जाएगी | व्यावहारिक इतिहास भूगोल भी | अपने गाँव में एक श्रीराम विद्यालय स्थापित करके हिंदी के साहित्य का पठन-पाठन करने में ही अपने जीवन के अंतिम दिन बिताऊंगा | उजियार के पिंड वाले खेतों में आश्रम रहेगान वहां चरखा-संघ और ग्रामोद्योग-संघ की शाखाएं भी रहेंगीं | संस्कृत और हिंदी की परीक्षाओं के केंद्र भी खोलूँगा | रामायण-गीता परीक्षाएं भी होंगी | गाँव में शिक्षा की ज्योति फैलाऊंगा | गोरक्षा और गो-पालन भी साथ ही होगा | उस संस्था को स्थाई करके भारत भ्रमण करूंगा | सभी प्रमुख साहित्य-सेवियों के पास जाकर उनके दर्शन करूंगा | श्रीराम विद्यालय से वागीश्वरी नामक मासिक पत्रिका निकालूँगा | उसमें केवल साहित्यिक बातें रहेंगी |

श्रीराम विद्यालय में मैं ही साहित्य और सम्पादन कला की शिक्षा दूंगा | साहित्य के ग्रंथों को पढ़ना और पढ़ाना यही नित्य कर्म होगा | इस विद्यालय में प्रति पूर्णिमा को श्री सत्य नारायणजी की कथा हुआ करेगी, और प्रति एकादशी को गीता पाठ तथा नित्य हवन भी | चरखा संघ, ग्रामोद्योग संघ, गौशाला, औषधालय, वाचनालय, पुस्तकालय, दुग्धालय, चित्रशाला, संग्रहालय सब कुछ रहेगा | सबके लिए स्वतंत्र भवन, सादगी सर्वत्र, लता-पुष्प एवं पुष्प-वृक्षादि की हरियाली, कृषि-व्यापार का शिक्षण विशेष रूप से दिया जायेगा | एक यज्ञ-शाळा रहेगी जिसमें प्रायः हवन हुआ करेगा | नित्य थोडा-घना हवन होता ही रहेगा | हवन का कुंड भी पक्का और मंडप-भवन  भी पक्का | चारों और फूल-फल के वृक्ष | वृक्षों की छाया मेंही पढ़ाई होगी | सद्भाव, सत्य, आश्रण-जीवन का पवित्र आदर्श रहेगा |”

-       शिवपूजन सहाय की डायरी (१९४०-) से उद्धृत |

(C)मंगलमूर्ति | चित्र : ऊपर:  आ. शिव के उनवांस (जन्म-ग्राम) के सटे पूरब कोचान नदी और (नीचे) उसी रास्ते में पड़ने वाला शिव मंदिर जहाँ उनके बचपन में  जगेसर माली ने उनमें शिव-पूजा का प्रेम उत्पन्न किया |

 

 

 

Wednesday, January 6, 2021

 

श्रीवागीश्वरी पुस्तकालय, उनवांस

आ. शिवपूजन सहाय का जन्म बक्सर से १५ किमी दक्षिण उनवांस गाँव में १८९३ ई. में हुआ था | उनके पिता श्री वागीश्वरी दयाल आरा के एक छोटे ज़मींदार बक्शी हरिहर प्रसाद के पटवारी थे |माता का नाम श्रीमती राजकुमारी देवी था | अपने बचपन की कहानी सहायजी ने ‘मेरा बचपन’ पुस्तक में लिखी है |

हिंदी साहित्य से उनका प्रेम स्कूल की पढ़ाई के समय से ही विकसित होने लगा था और उनके लेख-कहानियां आदि उसी समय से पत्र-पत्रिकाओं में छपने लगे थे | जब गांधीजी का असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ तो शिवजी ने सरकारी स्कूल की नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया और १९२१ में - आज से ठीक सौ वर्ष पहले - कलकत्ता जाकर ‘मारवाड़ी सुधार’ और ‘मतवाला’ आदि पत्रों का सम्पादन करने लगे | अब साहित्य की दुनिया में रहने के कारण उनके पास पुस्तकों-पत्रिकाओं का ढेर जमा होने लगा | तब उसी वर्ष १९२१ में रामनवमी की तिथि को उन्होंने अपने घर में ‘श्री वागीश्वरी पुस्तकालय एवं श्रीमती राजकुमारी देवी वाचनालय’ की स्थापना की थी | गाँव का पुराना पुश्तैनी मकान खपरैल ईंटा-सुर्खी का बना था जिसमें पूरा सम्मिलित परिवार रहता था |  उत्तर-दक्षिण चारों और तीन-तीन कमरे थे | उनमें दक्षिण के एक कमरे में  पुस्तकालय की पुस्तकें रखी जाती थीं | बीच में एक  बड़ा-सा खुला आँगन था जिसके बीचों-बीच एक बेल का पेड़ था | उस समय उस मकान में जिसकी बाहरी तस्वीर यहाँ दी गई है, शिवजी और उनके दो भाइयों – रामपूजन लाल और देव नंदन लाल का परिवार रहता था और घर के बारह कमरे उनमें बंटे हुए थे | शिवजी और उनकी दूसरी पत्नी के हिस्से में मकान का दक्षिण-पूर्वी कोना था, जहाँ यह पुस्तकालय था | बाहर का दालान शामिल था |

इस मकान में बाद में कुछ बदलाव हुआ और १९५५-५६ में मकान के बाहरी दालान के एक बगल पुस्तकालय का भवन शिवजी ने बनवाया जिसका चित्र आप देख सकते हैं, यद्यपि अब पुराना पूरा मकान (१) ध्वस्त हो चुका है, और जहाँ यह पुस्तकालय (२) था वहीं  न्यास द्वारा शिवजी का एक स्मारक बनाने की योजना है जिसका काम अभी रुक गया है | लेकिन यथाशीघ्र स्मारक-निर्माण का कार्य पुनः प्रारम्भ  होगा |

बहुत दिनों तक बंद रहने के कारण पुस्तकालय में बंद बहुमूल्य सामग्री जब नष्ट होने लगी, तब उसे बक्सर के राजकीय पुस्तकालय में कुछ दिन के लिए स्थानांतरित किया गया था, जिसके चित्र (३) भी यहाँ देखे जा सकते हैं | किन्तु शोधोपयोग की सुविधा की दृष्टि से २०१४ में वह सारी अत्यंत बहुमूल्य साहित्यिक सामग्री पटना के गांधी संग्रहालय पुस्तकालय में संरक्षण के लिए दे दी गई(४,५) | इस सामग्री को अब इस शोध-पुस्तकालय में ही देखा जा सकता है, इसे कहीं बाहर ले जाने की अनुमति नहीं है | गाँधी संग्रहालय शोध पुस्तकालय में ये पुस्तकें सूचीकृत हो चुकी हैं | इनकी अनुमानित संख्या लगभग ४,००० है,जिन्हें अभी सात स्टील अलमारियों में रखा गया है |  

इसी ब्लॉग पर नीचे एक लिंक दिया गया है जिसमें श्री कैलाश झा का एक वीडियो देखा जा सकता है जिसमें उन्होंने विस्तार से बताया है की पुस्तकालय की पत्रिका- सामग्री को कैसे अमेरिका की लाइब्रेरी ऑफ़ कांग्रेस के द्वारा मैक्रोफिश  किया गया है जिसकी एक-एक प्रति वाशिंगटन में है और दूसरी सारी मैक्रोफिश (६) प्रतियां दिल्ली के नेहरु स्मारक संग्रहालय में रखी गई हैं, ताकि शोध के लिए उपलब्ध रहे | पत्रिकाओं और कुछ अत्यंत दुर्लभ पुस्तकों की मूल प्रतियां भी शोधार्थियों के लिए इसी नेहरु पुस्तकालय में उपलब्ध हैं | शिवजी के संग्रह की पांडुलिपियाँ, सम्पूर्ण पत्र-संग्रह, डायरियाँ आदि, और उनकी पूरी माइक्रोफिल्म भी नेहरू पुस्तकालय में सुरक्षित हैं | यह सारी संरक्षण व्यवस्था न्यास के द्वारा की गई है, और इसी संरक्षण-योजना के अंतर्गत १९४९-५० के दशकों के कुछ दैनिक-साप्ताहिक अखबारों के पुराने जीर्ण अंक भी शीघ्र ही भोपाल के माधव राव सप्रे संग्रहालय में भेजे  जाने वाले हैं |

 हमारा प्रयास है कि न्यास के इन कार्यों में जो व्यक्ति या संस्था आर्थिक सहयोग देने की इच्छुक हों वे न्यास के प्रायोजन से प्रकाशित साहित्य को विशेष छूट पर मंगावें और उसकी राशि न्यास के खाते में जमा करें, और स्वतंत्र रूप से भी न्यास के कार्यों के  लिए आर्थिक सहायता अनुदान के रूप में दें | इसके लिए पटना में न्यास के  सचिव, डा. मंगलमूर्ति ( मो. 7752922938 / 94518336674 / bsmmurty@gmail.com) से अथवा पटना में न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष श्री विजय प्रकाश ( अध्यक्ष, बिहार विद्यापीठ) से  संपर्क किया जा सकता है | शिवजी की पुस्तकों की रॉयल्टी और विक्रय अथवा किसी प्रकार के अनुदान से प्राप्त राशियों से आय-व्यय की अंकेक्षित वार्षिक रिपोर्ट न्यास के सदस्यों के सामने प्रस्तुत की जाती है | संपर्क-सूत्र :

आचार्य शिवपूजन सहाय स्मारक न्यास

अध्यक्ष :डा.रज़ी अहमद /  कार्यकारी अध्यक्ष :श्रीविजयप्रकाश        सचिव :डा.मंगलमूर्ति /  सह-सचिव :श्री आर.के.शरण

स्थायी पता : मार्फ़त,श्रीआसिफ वसी,गांधी संग्रहालय,उत्तर-पश्चिम गांधी मैदान,पटना : 800001

                 वर्त्तमान पता : डा. मंगलमूर्ति, 701, एच-ब्लाक,सेलेब्रिटी गार्डन्स, सुशांत गोल्फ सिटी, लखनऊ: 226030

मो. +91-7752922938 (वाट्स ऐप्प ) / 7985017549 / 9415336674 : ईमेल : bsmmurty@gmail.com

ब्लॉग:shivapoojan.blogspot.com                  All photos (C) Dr BSM Murty


(6) मैक्रो फिश 







                                                                                                            

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(4) गाँधी संग्रहालय पुस्तकालय में पुस्तक सूची 



 

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(3) बक्सर राजकीय पुस्तकालय (२०१४)








(2) वागीश्वरी पुस्तकालय, उनवांस

 

आचार्य शिवपूजन सहाय स्मारक न्यास की पुस्तक योजना

आ.शि.स. स्मा. न्यास की स्थापना आ. शिव के जन्म-शती वर्ष १९९३ में पटना में हुई थी | न्यास के संगठन और उसकी गतिविधियों का विवरण तथा आ. शिव से सम्बद्ध और सूचनाएं इसी ब्लॉग में  नीचे के Older Posts  बटन पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है | यहाँ हम न्यास की नियमावली के मूल उद्येश्यों से आपका परिचय कराना चाहते हैं | वे इस प्रकार हैं:

१.स्व. आचार्य शिवपूजन सहाय की रचनाओं का प्रकाशन |  २. आ. शिवजी द्वारा अपने जन्मग्राम उनवांस में स्थापित श्री वागीश्वरी पुस्तकालय का परिरक्षण और संवर्धन | ३. आ. शिवजी के जन्म-गृह में, उनवांस में, एक स्मारक भवन की स्थापना  | ४. आ. शिवजी की स्मृति में स्मारक के स्थायी सचिव श्री मंगलमूर्ति के पटना (पुनाईचक-स्थित) आवास में सम्प्रति ‘आचार्य शिवपूजन सहाय स्मारक संस्थान’ की स्थापना |        ५. आ. शिवजी और उनकी धर्मपत्नी स्व. श्रीमती बच्चन देवी की स्मृति में व्याख्यान साहित्यिक पुरस्कार आदि की व्यवस्था |  ६. विशेषतः बिहार के लेखकों से सम्बद्ध साहित्यिक कृतियों एवं सामग्रियों का संग्रह एवं परिरक्षण, बिहार के साहित्य का प्रकाशन एवं शोध |  ७. हिंदी भाषा और साहित्य की संवृद्धि और वैसे प्रकाशनों के लिए सहायता और सहयोग |  ८. सर्जनात्मक लेखन सहित सामान्यतः साहित्यिक कार्य-कलापों का आयोजन |  ९. आ. शिव के साहित्य में यथावेक्षित ग्रामोत्थान और ग्रामीण शिक्षा से सम्बंधित संस्थानों की स्थापना |

इनके अतिरिक्त भी अन्य साहित्यिक कार्य-कलापों को बढ़ावा देना जो उपयुक्त मूल उद्देश्यों के अनुरूप हों, पर प्रतिकूल न हों |

बीत रहे वर्ष २०२० में कोरोना महामारी के कारण न्यास की बैठक संभव नहीं हुई, लेकिन इस ब्लॉग, दूरभाष और ईमेल के माध्यम से यथासंभव सदस्यों से संपर्क रखने की चेष्टा हुई | जन्म-ग्राम उनवांस में पुराने मकान और जीर्ण पुस्तकालय  भवन को तोड़ कर स्मारक-भवन-निर्माण का जो काम २०१९ में प्रारम्भ हुआ था, वह कोरोना के कारण ही पूर्णतः स्थगित रहा, और यथास्थिति आगामी वर्ष में उस काम को फिर नए सिरे से प्रारम्भ किया जायेगा | लेकिन इसी वर्ष २०२० में आ. शिवजी की दो पुस्तकों – ‘मेरा बचपन एवं सम्पूर्ण बाल साहित्य’ तथा ‘हिंदी की गद्य-परंपरा’ का श्वेतवर्णा प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशन हुआ, और दो और पुस्तकें – ‘निबंध समग्र’, तथा  ‘वे दिन, वे लोग’(संस्मरण-समग्र) आगामी वर्ष के प्रारंभ में प्रकाशनाधीन हैं | इन्हीं के साथ डा.मंगलमूर्त्ति की संस्मरण-पुस्तक ‘दर्पण में वे दिन’ भी अनामिका प्रकाशन से प्रकाशित हो रही है | शीघ्र ही इन सभी पुस्तकों का एक फोल्डर प्रकाशित किया जायेगा |

गाँधी संग्रहालय में स्थानांतरित वागीश्वरी पुस्तकालय के पुस्तक संग्रह के रख-रखाव और पुरानी पुस्तकों की जिल्दबंदी के लिए १०,०००/- रु. संग्रहालय को दिए गए | ( श्री वागीश्वरी पुस्तकालय का पूरा परिचय भी आप शीघ्र ही इस ब्लॉग पर पढ़ सकेंगे |) इस वर्ष १२७ वीं जयंती (९अगस्त, २०२०) के अवसर पर मुख्यमंत्री, बिहार ने आ. शिव की कंकडबाग वाली प्रतिमा का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया | (प्रतिमा के चित्र नीचे देखें|)

इस बीच न्यास के तत्त्वावधान में वागीश्वरी प्रकाशन का प्रारम्भ हुआ है ( श्री वागीश्वरीदयाल आ. शिव के पिताश्री थे, जिनके नाम पर ही न्यास का यह ब्लॉग परिचालित होता है)| इसके अंतर्गत पहली खेप में न्यास-सचिव डा. मंगलमूर्त्ति की ४ पुस्तकों का प्रकाशन हुआ और उपर्युक्त  आ. शिवजी की पुस्तकों (और डा.मंगलमूर्त्ति की पुस्तकों की भी )ऑनलाइन  विक्रय की  व्यवस्था शुरू की गई जिन सब की रकम क्रेता द्वारा सीधे न्यास के खाते में जमा की जाती है | पुस्तकों के प्रकाशन की व्यवस्था अनामिका प्रकाशन, श्वेतवर्णा प्रकाशन. दिल्ली, तथा वागीश्वरी प्रकाशन द्वारा की गई है, उसमें न्यास की कोई आर्थिक लागत  तत्काल नहीं होती | बाद में इसकी एक आर्थिक नीति बन जाने पर न्यास के उद्देश्य सं.७ के अनुसार कुछ प्रकाशन न्यास के  आर्थिक  सहयोग से  भी यथावश्यक किये जायेंगे | यथासमय सभी प्रकाशकों के साथ एक ऐसी व्यवस्था होगी जिसके अंतर्गत वागीश्वरी प्रकाशन (जिसके संचालक न्यास के उप-सचिव श्री रामकृष्ण शरण हैं) एवं आ. शिव की पुस्तकों के अन्य प्रकाशकों से आ. शिव की पुस्तकों की  प्रतियां लेकर संपर्क और प्रचार के द्वारा उन पुस्तकों को निर्दिष्ट पाठकों के बीच विशेष छूट और मुफ्त डाकखर्च पर उपलब्ध कराई जाएँगी, जिससे उपयुक्त पाठकों को आ. शिव की पुस्तकें कम-से-कम मूल्य पर उपलब्ध हो सकें |  यह सुझाव भी विचाराधीन है कि १,०००/- या उससे अधिक  मूल्य की पुस्तकें न्यास से खरीदने वाले ऐसे पाठक को एक विशेष सूची में न्यास के सामान्य सदस्य के रूप में मान्यता दी जाएगी | इस योजना के तहत न्यास के खाते में जो रकम जमा हुई है उसका विवरण अंकेक्षण के बाद न्यासियों के सम्मुख प्रस्तुत किया जायेगा |

यहाँ प्रस्तुत कुछ चित्रों में न्यास की गतिविधियों का संक्षिप्त विवरण देखा जा सकता है | आ. शिव की नव-प्रकाशित पुस्तकों के आवरण-चित्र | पुस्तकों को विशेष छूट और मुफ्त डाक-खर्च पर प्राप्त करने के लिए कृपया डा. मंगलमूर्त्ति से संपर्क करें (मो. 7752922938 WhatsApp   / Email : bsmmurty@gmail.com)







Monday, January 4, 2021

श्री वागीश्वरी पुस्तकालय, उनवांस ( बक्सर)

 इधर एक वेबिनार में श्री कैलाश चंद्र झा जो पहले अमेरिकी दूतावास से संबद्ध थे उनकी एक लाइव भेंटवार्ता प्रसारित हुई थी जिसमें उन्होंने आ. शिवपूजन सहाय द्वारा स्थापित श्रीवागीश्वरी पुस्तकालय में संगृहीत पत्रिकाओं के लाइब्रेरी आप कांग्रेस, वाशिंगटन द्वारा संरक्षण की पूरी कहानी बताई है जिसे नीचे के लिंक पर जाकर आप देख सकते हैं।

https://youtu.be/_hZa8jRoL2I

और शीघ्र ही श्रीवागीश्वरी पुस्तकालय की पूरी सचित्र कहानी आप यहां पढ़ सकते हैं।



  आचार्य शिवपूजन सहाय : सन्दर्भ सूची   आचार्य शिवपूजन सहाय (१८९३ -१९६३) की विगत ६२ वीं पुण्यतिथि २१ जनवरी, २०२५ को मनाई गयी | उस प्रसंग में ...